Baglamukhi Mata Pooja

बगलामुखी माता पूजा


देवी के दस महाविद्या स्वरुप में से एक स्वरुप माँ बगलामुखी का है. इन्हें पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है. ये स्वयं पीली आभा से युक्त हैं और इनकी पूजा में पीले रंग का विशेष प्रयोग होता है. इनको स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है.

देवी के दस महाविद्या स्वरुप में से एक स्वरुप माँ बगलामुखी का है. इन्हें पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है. ये स्वयं पीली आभा से युक्त हैं और इनकी पूजा में पीले रंग का विशेष प्रयोग होता है. इनको स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है. सौराष्ट्र में प्रकट हुये महातूफ़ान को शान्त करने के लिये भगवान विष्णु ने तपस्या की थी और इसी तपस्या के फलस्वरुप माँ बगलामुखी का प्राकट्य हुआ था. शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिये तथा मुकदमे में विजय के लिये इनकी उपासना अचूक है. इस बार माँ बगलामुखी का जन्मोत्सव 19 अप्रैल को मनाया जाएगा.

माँ बगलामुखी के पूजा के नियम और सावधानियां क्या हैं?


1- इनकी पूजा तंत्र की पूजा है अतः बिना किसी गुरु के निर्देशन के नही करनी चाहिए.

२. इनकी पूजा कभी भी किसी के नाश के लिये न करें

3. इनकी पूजा में व्यक्ति को पीले आसन, पीले वस्त्र, पीले फल और पीले नैवैद्य का प्रयोग करना चाहिए

4. शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिए, बगलामुखी जन्मोत्सव पर इनकी पूजा जरूर करें.

शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिए, बगलामुखी जन्मोत्सव पर इनकी पूजा जरूर करें. मध्यप्रदेश के आगर जिले में नलखेड़ा कस्बे में मां बगलामुखी का महाभारत कालीन भव्य और प्राचीन मन्दिर स्थित हैं। प्रचलित कथानुसार इस मंदिर की स्थापना धर्मराज युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध के समय की थी। यहां पर माता बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमा शमशान क्षेत्र में स्थित होने से तंत्र में इसका बहुत अधिक हैं। यहां दूर-दूर से साधक आकर साधना सम्पन्न करते हैं।

ज्योतिषाचार्य पण्डित शिवगुरु जी के अनुसार मां बगलामुखी की पूजा-अर्चना करने से शत्रु, रोग, कष्ट, कर्ज आदि पर विजय प्राप्त होती है। संसार का कोई ऐसा संताप नहीं है जिसका निवारण इनकी अराधना से संभव न हो। जीवन में अगर कभी ऐसा समय आए जब शत्रुओं के भय से आप बेहाल हो, सभी रास्ते बंद हो और कानूनी मामलों में आप दलदल की तरह फंसकर रह जाएं। इस बुरे दौर में पूरे ब्रह्मांड की सबसे बड़ी शक्ति मां देवी बगलामुखी की पूजा से आप अपने जीवन को सफल बनाकर मनचाही दिशा दे सकते हैं। संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति इनमें समाई हुई है। मां की जयंती के दिन अथवा प्रत्येक बृहस्पति इनकी आराधना करने से शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय, शत्रुओं और बुरी शक्तियों का नाश तथा जीवन में समस्त प्रकार की बाधाओं से मुक्ती मिलती है।

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