Navgrah Shanti Pooja
जीवन में जब कष्टों के लगातार आना और पूरा जीवन संघर्षपूर्ण दिखाई देना, इस बात का सबूत देता है कि आपके ग्रह –नक्षत्र अशान्त है. आपके नौ ग्रहों की बेकार दशा से आपको जीवन में सही दिशा प्राप्त नही हो पा रही है. इसी वजह से ज्योतिषी द्वारा ग्रह-नक्षत्र का जन्मपत्री द्वारा हाल जानकर उनका उपाय किया जा सकता है और जीवन में आने वाली कठनाईयों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है. ग्रहों को शान्त करवाने के लिए किसी साधारण मंदिर का पूजारी से काम नहीं चलेगा. नवग्रह शान्ति पूजा के लिए वह पंडित योग्य होता है जो शक्ति साधना और भैरव साधना की विधा जानता हो या नवग्रह मंदिर का पूजारी हो जिसे नवग्रह के बारे में पूर्ण ज्ञान हो वह पंडित नवग्रहों को शान्त करवा सकता है.
नवग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर पूर्ण रुप से प्रभाव देखा जा सकता है| इन नवग्रहों की शांति द्वारा जीवन की अनेक समस्याओं को दूर करने में सहायक हो सकते हैं| नवग्रहों के विषय में अनेक तथ्यों को बताया गया है जिनमें मंत्रों का महत्व परिलक्षित होता है| इस विषय में ज्योतिष में अनेक सिद्धांत प्रचलित हैं| नव ग्रह स्त्रोत इसी के आधार स्वरुप एक महत्वपूर्ण मंत्र जाप है जिसके द्वारा समस्त ग्रहों की शांति की जा सकती है|
गुरु :- थाई, मांस, फैट, किडनी, लिवर और आर्टेरियल सिस्टम का मालिक ग्रह है गुरु। अगर किसी की कुंडली में बुरी तरह प्रभावित हो, तो यह गठिया, डायबीटीज, पाइल्स, ट्यूमर, ब्लड कैंसर और लिवर मालफंक्शन जैसी गंभीर बीमारियां पैदा कर सकता है।
शुक्र :- शुक्र त्वचा, चेहरा, आंखें, जेनेरेटिव सिस्टम, सीमेन औक डाइजेस्टिव सिस्टम को नियंत्रित करता है। जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह के दोषी होने पर व्यक्ति को आंखों, त्वचा से जुड़ी बीमारी, वेनेरियल प्रॉब्लम, इनडाइजेस्शन, भूख कम लगना, यहां तक कि नपुंसकता तक हो सकती है।
शनि :- पांव, घुटनों, दिमाग, एसिड्स, बोन मैरो, सीक्रेटिव सिस्टम, रिब्स, बाल, नाखून, इन सभी का मालिक होता है शनि। यह जन्म से ही व्यक्ति की कुंडली में जुड़ जाता है। शनि ग्रह यदि खराब हो, तो यह अर्थराइटिस, रयूमैटिज्म, गठिया, बोन टीबी, अस्थमा, कोल्ड, नाखूनों में फंगस, बालों का झड़ना और नपुंसकता जैसी समस्या भी दे सकता है।
राहु और केतु :- राहु और केतु मनुष्य को समस्याएं देने, उन्हें तबाह करने, उन्हें किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचाने के लिए ही होते हैं।
सूर्य :- सूर्य नवग्रहों में सबसे पहला ग्रह है। अगर किसी व्यक्ति की राशि में सूर्य की स्थिति सही नहीं हो, तो माना जाता है कि उसकी कुंडली में सूर्य की खराब दशा चल रही है। सूर्य यदि खराब हो, तो वह करियर, धन और सेहत से जुड़ी समस्याएं (दिल से जुड़ी समस्याएं, ब्लड प्रेशर, ब्लड सर्कुलेशन) पैदा कर सकता है।
चंद्र :- चंद्र आपकी छाती, आंखें, खून, पानी, जेनेरेटिव सिस्टम, पानी का मालिक होता है। अगर चंद्र ठीक न हो तो यूरिनरी प्रॉब्लम, ड्रॉप्सी, कोलाइटिस, ब्रोंकाइटिस, वैरिकोज और ऐब्डोमन से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।
मंगल :- मंगल इंसान के शरीर का मसक्युलर सिस्टम कंट्रोल करता है। अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति बेहद खराब हो, तो यह ब्लड क्लॉट, ब्रेन फीवर, लंग्स प्रॉब्लम्स, टाइफॉइड और ब्लड से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है।
बुध :- बुध जहां मनुष्य की जीभा, नाड़ी, सांस, सेल्स और नर्वस सिस्टम को कंट्रोल करता है, वहीं यह हवा को भी अपने नियंत्रण में रखता है। इस ग्रह के कमजोर होने से नाक से जुड़ी समस्या, हकलाने की समस्या, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, पैरालिसिस, नर्वस डिसऑर्डर आदि बीमारियां हो सकती हैं।
उक्त लक्षणों का उल्लेख इस दृष्टि से किया गया है ताकि सामान्य पाठकों को नवग्रह की शांति पूजा की पर्याप्त जानकारी हासिल हो सके। किंतु ऐसा नहीं है कि नवग्रह शांति पूजा पंडित शिवगुरु जी के सानिध्य में मंगल नाथ, सिद्धनाथ व् रामघाट पर किया जाना अत्यंत प्रभावशील मन जाता है इस जगह हर तरह की किसी भी प्रकार की पूजा की जाय वह १००% सफल होती है पंडित शिवगुरु जी नवग्रह की शांति पूजा पुरे मंत्रोच्चार से सही ढंग से अपने जातक को कराते है जिससे संपूर्णरूप से नवग्रह की शांति पूजा आपके जीवन की सभी समस्या दूर हो जायगी.
परन्तु विश्वास सबसे बड़ा धार्मिक पूजन में बहुत मूल स्थान रखता है विश्वास है तो पूजा का लाभ १००% मिलता है यदि आपमें विश्वास व् भगवान् पर आस्था व् कालसर्प की पूजा पर श्रद्धा से मन लगा कर किया जाय तो इस दुनिया में सब संभव है किसी भी प्रकार के दोष आपके जीवन में नहीं आ सकते है